परिचय  

सर्वावतारी पूर्णपुरुषोत्तम श्री स्वामीनारायण भगवान

सर्वोपरि श्रीस्वामीनारायण भगवानने आज से लगभग २३० वर्ष पूर्व (वी. स. १८३६-१८८६) इस पृथ्वी पर उत्तराखंड में अयोध्या निकट, छपाईया नामक गांवमें प्रकट हुए थे। कलयुग के पाप ताप से त्राहि पृथ्वी पर जब भक्तों का शोषण बढ़ चल रहा था तब हरि भक्तों के आध्यात्मिक पोषण सत्संग एवं सद्धर्म स्थापन और अपने प्रेमी भक्तों के भाव पूर्ण करने हेतु सदा दिव्य साकार किशोर मूर्ति सर्वोपरि श्री स्वामीनारायण भगवान अक्षरधाम से इस भूतल पर अवतरित हुए हैं।

दिव्य प्रेरणा...

प.पू. सद्. श्रीज्ञानजीवनदासजी स्वामी – कुंडलधाम

श्रीवड़ताल देश से संलग्न, कुंडलधाम और कारेलीबाग- बड़ोदा स्थित स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण प.पू. सद्. श्रीज्ञानजीवनदासजी स्वामी की एकमात्र प्रेरणा से हुआ है। पूज्य स्वामी जी श्रीस्वामीनारायण संप्रदाय के अग्रणी वक्ता है। अपनी सुमधुर शैली में उन्होंने श्रीहरिचरित्रामृतसागर, सत्संगीजीवन, भक्तचिंतामणि, श्रीवासुदेव महात्मय, यमदण्ड जैसे अनेक महाग्रंथोकी कथा कर समग्र भक्त समाज के ह्रदय में प्रभुप्रेमसे प्रेशित किया है। मृधु ह्रदय, ईश्वरानुभूति के प्रति सुदृढ़ स्पष्ट वक्तृत्व भक्तिमय जीवन वे निश्चित ही अगणित भक्तों आत्माओं के दिल में दिव्यता प्रभु निष्ठा एवं भक्ति के कारण बहुत है। उन्हीं की दिव्य प्रेरणा का मूर्तिमंत स्वरूप है कुंडलधाम स्थित श्री गोपीनाथजी गीर गौशाला जो गिर जैसी उत्तम नस्ल की गायों का खुशनुमा निवास, है जो सर्वोपरि भगवान श्रीस्वामीनारायण की सेवा में संलग्न है।

हमारे मंदिर और गतिविधियॉ

कुंडलधाम और कारेलीबाग-बड़ौदा में स्तिथ श्रीस्वामिनारायण मंदिर क्रमशः श्रीहरि सत्संग सेवा ट्रस्ट और श्रीस्वामीनारायण मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित किए जाते हैं।   इन मंदिरों का निर्माण माननीय संत प.पू. सद्. श्रीज्ञानजीवनदासजी स्वामी की एकमात्र प्रेरणा से हुआ था। स्वामी जी के मार्गदर्शन और देखरेख में कई आध्यात्मिक सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों को नियमित रूप से किया जाता है। 

इनमें से परम पूज्य सद्गुरु श्री ज्ञानजीवनदासजी स्वामी कुंडल धाम से प्रेरित कुंडल धाम में गोपीनाथ जी गौशाला गिर गायों की सबसे अच्छी नस्ल के लिए एक सांसारिक स्वर्ग है। हमारे हिंदू शास्त्रों में वेदों भगवत गीता और अन्य पुराणों के अनुसार गायों का पृथ्वी पर सबसे पवित्र प्राणियों के रूप में उल्लेख किया गया है। और इसीलिए भारतीय (देशी) गाय को वैदिक गाय भी कहा जाता है। पवित्रता और आध्यात्मिकता में उच्च होने के नाते श्री गोपीनाथ जी गौशाला – कुंडलधाम में, सर्वोपरी भगवान श्रीस्वामीनारायण को उनकी परी गायों के दूध, घी, मक्खन और दही के साथ पूरे साल दिल से सेवा की जाती है।

गोपीनाथजी गौशाला में, सभी गाय, बैल और बछड़ों को ईश्वरीय दिव्य परिवार का सदस्य माना जाता है। इस प्रकार बूढ़े होने के बाद भी उनमें से किसी को भी नहीं छोड़ा जाता है या क़त्लखानों में बेचा नहीं जाता है। यहाँ गीर गाये स्वतंत्र रूप से घूमती है और उन्हें केवल जैविक घास आदि चारा खिलाया जाता है जो दूध में किसी भी प्रकार के रसायन की उपस्थिति की संभावना को समाप्त करता है। ई. स. २००३ में अपनी स्थापना से लेकर आज तक श्रीगोपीनाथजी गोशाला भगवान श्रीस्वामीनारायण और उनके संतो-भक्तों को शुद्ध गीर गाय के दूध आदि से अब अविरत सेवा कर रही है।

पुरस्कार और मान्यता

पुरस्कारों से भरोसा बढ़ता है। गोपीनाथजी गीर गौशाला को निनम दर्शित पुरस्कारों से नवाज़ा